Thursday, September 11, 2025
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मनरेगा घोटाला में संलिप्त पूर्व प्रधान और दो लोगों के खिलाफ कराया मुकदमा दर्ज

मनरेगा धांधली में जिला अधिकारी ने करवाया मुकदमा दर्ज । ग्राम प्रधान रोजगार सेवक और कंप्यूटर ऑपरेटर पर हुआ मुकदमा दर्ज। निचलौल ब्लॉक के पैकौली कला ग्राम सभा का मामला

महराजगंज

महराजगंज जिले के ब्लॉक निचलौल के ग्राम सभा पैकौली कला के पूर्व ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा  द्वारा कूट रचित तरीके से ग्राम पंचायत अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से ग्राम सभा के मनरेगा के मजदूरों  के जाब कार्ड पर अपनी पत्नी पूनम मिश्रा जो की आंगनबाड़ी कार्यकत्री है ,अपने भाइयों अशोक मिश्रा, प्रिंस मिश्रा, कृष्ण कुमार मिश्रा, भतीजे देवेश मिश्रा, बड़े पापा जगदीश मिश्रा तथा अपने परिवार के सदस्यो के साथ रिस्तेदारो  मजदूरी के मामले में पर्याप्त सबूतों के साथ ग्राम के कुछ दूर के जानने वाले लोगो का खाता लगाकर मनरेगा मजदूरी का लाखो रुपया हड़प लिया गया। जिसके शिकायत ग्राम के ही रितेश पांडेय ने ३० ७ २०२० को तात्कालिक मुख्य विकास अधिकारी पवनअग्रवाल से किया मुख्य विकास अधिकारी ने एक टीम गठित की और ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा के ऊपर किए गए आरोप को सत्य पाया गया जिस पर तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार अग्रवाल ने दोषियों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।

किंतु सत्ता  सत्ता और शासन के दबाव में ग्राम प्रधान ने मैनेज करने कर लिया । सिर्फ कागजों में ही कार्यवाही कर के मामले लो ठंडे बस्ते में डाला दिया गया लाखो के गबन में भी कोई कारवाही नहीं की गई  पूरे मामले को सत्ता सासन ले के दबाव में मैनेज कर  लिया गया  करीब दो साल बाद पुनः रितेश पांडेय ने २९ ०८ २०२२ को  जिले के ईमानदार जिला अधिकारी सत्येंद्र कुमार के से मिलकर सबूतों के साथ जिलाधिकारी महोदय से अपनी बात रखी और दोषिये के खिलाफ कारवाही करने की मांग की मामले के गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी महोदय ने  त्वरित कार्यवाही करते हुए  मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह से बात कर  इस मामले की जांच कर तुरंत कानूनी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया। क्योंकि यह मामला पूर्व मुख्य विकास अधिकारी पवन अग्रवाल के समय से चला आ रहा था लेकिन विभाग और कुछ लोगों के द्वारा यह मामला मैनेज कर लिया गया था।

लेकिन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के क्रम में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने वरिष्ठ पाए गए लोगों में ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा, रोजगार सेवक श्रीमती गीता देवी, और कंप्यूटर ऑपरेटर माधव प्रसाद द्विवेदी के ऊपर स्थानीय थाना कोठीभार में धारा 419 420 और 409 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।  जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने यह कदम सख्ती के साथ उठाया है। आपको बताते चलें कि यह मामला पिछले करीब 2 साल पूर्व का है जिसमें ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा ने अपने समय में ग्राम सभा में हो रहे कई कार्यों में मजदूरों का नाम तो रखा था लेकिन उनकी खाता संख्या की जगह अपने रिश्तेदारों घर के सदस्यों और बाकी लोगों के खाते को अपडेट कराया था, मामले की जब जांच हुई तो सारा पोल खुल गया।इसके पहले भी  इसी ग्राम पंचायत में बिना काम कराए मनरेगा के पक्के काम।के भुगतान करने के मामले में  ब्लॉक के में करीब७ कर्मचारियों को तत्कालीन प्रभाव से बर्खास्त कर दिया  गया था दोषी ग्राम पंचायत अधिकारी  को निलंबित किया गया था ।

भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी के खिलाफ मुकदमा भी किया गया था और शासन ने उनका  तत्काल प्रभाव से निलंबन भी कर दिया था।  लेकिन इस सारे मामले के मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान अरविंद कुमार मिश्रा को को राजनीतिक दबाव और प्रभाव के कारण उस मामले में भी बचा लिया गया था और  उसके खिलाफ कोई कारवाही नहीं की की जी थी उस समय भी उसके खिलाफ मुकदमा  दर्ज ना करके पूरे प्रकरण को दबा दिया गया था। । लेकिन जिले में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के आने के बाद ग्रामीणों के द्वारा फिर से यह जानकारी जिला अधिकारी के संज्ञान में दी गई और हर तरह की जांच प्रक्रिया करने के बाद मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सेगरवाल के निर्देश में जिले के कोठी भर थाने में दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के क्रम में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने यह कदम सख्ती के साथ उठाया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है की अभी भी कुछ लोगो के खिलाफ ही कार्यवाही की गई है बाकी जो लोग इसमें सामिल है उनको विभाग किसी ना किसी रूप में बचा रहा है चाहे वो  ग्राम पंचायत अधिकारी हो या तकनीकी सहायक न उनके खिलाफ एफआईआर कराया गया न ही विभागीय कारवाही ही हुई बिना इनके मिली भगत से इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है। सवाल यह है की इस मामले को दो साल से दबाया क्यों गया कौन कौन अधिकारी कर्मचारी इसमें शामिल है, किन किन को बचाया जा रहा है ? क्यों बचाया जा रहा है ये सब सारे सवाल अभी बाकी है जबकि इसी मामले में तकनीकी सहायको और दो ग्राम पंचायत अधिकारियो से रिकवरी की भी कार्यवाही कराई गई है  उनका नाम एफआईआर में क्यों नहीं है  अब देखना दिलचस्प होगा कि की जिलाधिकारी महोदय इनके खिलाफ कोई कारवाही करते है या इसको भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा मामला दो साल पहले का है इतने बिलंब के पीछे जो जिमेदार है उनके खिलाफ क्या कारवाही की जाती है?

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